इंट्राडे ट्रेडिंग v/s T-20 मैच : Intraday trading v/s T-20 Match
Intraday Trading v/s T-20 Match
इंट्राडे-ट्रेडिंग यानी आज ही शेयर ख़रीदे और मार्केट बंद होने से पहले आज ही बेच दिए, या उसका उल्टा आज ही बेचे और आज ही खरीद लिए। इंट्राडे-ट्रेडिंग यानी T-20 मैच ! जैसे टी -ट्वेंटी मैच में दोनों टीमें मैच शुरू होने से पहले रणनीति बनाती हैं , पिच का निरीक्षण करती हैं , Toss जीतने पर बैटिंग या बॉलिंग का निर्णय निश्चित करते हैं। ठीक वैसे ही इंट्राडे -ट्रेडिंग में ट्रेड करने के लिए एक दिन पहले ही शेयर का चुनाव किया जाता है , उसका टेक्निकल एनालिसिस किया जाता है , उससे जुडी खबरों को पढ़ा / देखा जाता है। कैंडल -स्टिक पैटर्न , MACD [Moving Average Convergence Divergence] , RSI [Relative Strength Index] टेक्निकल इंडीकेटर्स / टूल्स से उसकी कमजोरी या मजबूती को समझा जाता है।
RSI - MACD Technical Chart |
जैसे T-20 मैच में बल्लेबाज को बॉल खेलने का निर्णय जल्दी करना पड़ता है , बॉलर को गेंदबाजी में चतुराई से परिवर्तन करना पड़ता है , फील्डर को चुस्त -दुरुस्त रहना पड़ता है। ठीक वैसे ही इंट्राडे-ट्रेडिंग में ट्रेडर्स को मार्किट की प्रत्येक चाल पर नज़र रखनी पड़ती है। किसी विशेष शेयर में बनाई पोजीशन को टारगेट पूरा होते ही काटना पड़ता है। क्यूंकि कब उस शेयर की चाल उलटी दिशा में चलने लग जाए , पता नहीं चलता। जैसे दिनांक 29-11-19 को "Indiabulls-housing-finance" का शेयर सुबह 09 :15 बजे Rs.352 पर खुला और 10:30 a.m. के आस-पास उसने Rs. 376 का उच्चतम स्तर बनाया। लेकिन दोपहर में 01:15 बजे से 01:45 बजे तक अर्थार्थ आधा -घंटे में ही उसने Rs.268 तक का निचला स्तर बना दिया। अर्थार्थ जो शेयर 12 % के लाभ पर ट्रेड हो रहा था , एक घंटे में ही वो 14 % के घाटे में आ गया। यहाँ जिन ट्रेडर्स ने BUY की पोजीशन बना रखी थी , उन्हें नुक्सान हो गया। इसलिए इंट्राडे -ट्रेडिंग में हर समय चौकन्ना रहना पड़ता है। Stop -Loss के साथ काम करना पड़ता हैं , अन्यथा किसी भी समय आउट [Loss ] होने का खतरा होता है।
स्टॉप -लोस आपके अधिक नुक्सान को रोकता है। जैसे आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा और 98 रुपए पर स्टॉप लॉस लगा दिया, यदि शेयर की चाल नीचे की ओर हुई तो 2 के नुकसान पर ही आपका सौदा कट जायेगा । उसी तरह से यदि शेयर 100 रुपए में बेचा और स्टॉप लॉस 102 लगा दिया तो शेयर की चाल ऊपर होने पर केवल 2 रुपए के नुक्सान पर आपका सौदा कट जाएगा।
तेजी से टप्पा डालकर जो बॉल सीधे बल्लेबाज के मुँह पर आती है , उसे या तो डक करके छोड़ा जाता है या हुक करके चौका या छक्का बटोरा जाता है। ठीक उसी तरह से तेजी से गिरने / बढ़ने वाले शेयर को स्टॉप-लोस्स के साथ छोड़ दिया जाता है या रिवर्स -स्टॉप -लोस के साथ खेल लिया जाता है। लेकिन उसके लिए धोनी , रोहित , कोहली जैसा अनुभव चाहिए !! अर्थार्थ ट्रेडिंग का लम्बा अनुभव चाहिए।
दूसरे , जैसे टी-20 मैच में जब एक बल्लेबाज 50 से ऊपर रन बना लेता है , तब लगभग उसका टारगेट पूरा हो गया होता है। अतः अब उसे आउट होने की चिंता नहीं होती और वो रन -गति को बढ़ाने में हर तरह के शॉट खेल सकता है। ठीक उसी तरह इंट्राडे-ट्रेडिंग में भी टारगेट पूरा होने के बाद , ट्रेडर "बोनस गेन" के लिए ट्रेडिंग करता रहता है। बढ़ता हुआ शेयर जब नीचे आता है तो शेयर खरीद लेता है , और ऊपर आने पर बेच देता है। परन्तु शेयर नीचे आने पर कब एंट्री लेनी है और कब एग्जिट करना है उसके लिए वो टेक्निकल -चार्ट देखता रहता है। शेयर का मासिक , साप्ताहिक , प्रतिदिन का ट्रैंड यदि ऊपर की ओर है तो भाव नीचे आने पर खरीदना और शेयर का मासिक , साप्ताहिक , प्रतिदिन का ट्रैंड नीचे की ओर है तो भाव बढ़ जाने पर बेचना। ठीक वैसे ही जैसे टी -20 मैच में रनो का पीछा करने वाली टीम के बल्लेबाज [तेजड़िये ] हमेशा स्कोर बोर्ड पर नज़र बनाये रखते है और रन -रेट बढ़ जाने पर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने लगते हैं। अन्यथा , टारगेट पूरा करने में दिक्कत होगी। तो दूसरी तरफ गेंदबाज [मंदड़िये ] अपना पूरा प्रयास करते हैं की टारगेट पूरा न हो !
जैसे टी-20 मैच में शुरू के 6 ओवर में फील्डिंग की पोजीशन में पाबंदियाँ होती हैं , अतः इन पाबंदियों का पूरा लाभ उठाने का प्रयास बल्लेबाज करता है। और तेजी से रन बनाये जाते हैं। इंट्राडे -ट्रेडिंग में भी अक्सर देखा गया है सुबह 09 :15 से 10:15 बजे तक शेयर के भाव तेजी से ऊपर / नीचे होते हैं। कारण, इस दौरान ट्रेडर्स अधिक होते हैं जिन्होंने पहले से ही पोजीशन बनाई होती है , अतः एक अनुभवी ट्रेडर्स इस समय में भी लाभ अर्जित कर लेता है। फिर, जैसे मैच में 8 से 15 ओवर के दौरान रन-गति थोड़ी धीरे हो जाती है । लेकिन 15 से 20 ओवर के बीच फिर रनो की गति बढ़ जाती है। ठीक उसी तरह से सुबह 11 :30 बजे से 13 :30 बजे तक शेयर मार्किट में ट्रेडिंग की गति धीमी रहती है, लेकिन 14 :15 से 15 :30 बजे तक फिर उसमे गति तेज होती है। कारण यहाँ फिर से ज्यादा ट्रेडर्स सक्रीय हो जाते हैं और अपनी-अपनी पोजीशन को काटने में लग जाते हैं।
कहने का मतलब यह है की इंट्राडे -ट्रेडिंग एक फ़ास्ट -गेम है। जहाँ हर क्षण चौकन्ना रहना जरूरी है। नज़र बची और माल यारों का हो जाता है । तो क्या -क्या बातें ध्यान में रखनी चाहिए, यदि इंट्राडे -ट्रेडिंग करनी हो तो।
- सबसे पहले ट्रेड करने के लिए शेयर का ट्रैंड पता करना चाहिए। उसके बाद https://www.nseindia.com/live_market/dynaContent/live_watch/equities_stock_watch.htm की वेबसाइट पर क्लिक कीजिये और Nifty -50 में से स्टॉक का चयन कीजिये। लगभग 10 :00 बजे के आस-पास जो शेयर बढ़ रहे हों उन्हें खरीदिये और जो गिर रहे हों उनको बेचिये। 3 :15 बजे तक या उससे पहले टारगेट पूरा होने पर सौदा काटिये !
Nifty -50 Chart |
NSE Gainers and Losers list |
- जिस स्टॉक में ट्रेडिंग करना चाह रहे हैं उस स्टॉक की पूर्व दिन के स्तर [Status ] को ध्यान में रखें।
- NSE -50 के शेयर्स में ट्रेडिंग करें। कारण यहाँ वॉल्यूम व् तरलता [Liquidity ] पर्याप्त होती है।
- अपनी क्षमता के हिसाब से छोटी -छोटी मात्रा में ट्रेड करें।
- हमेशा Stop Loss लगा कर रखें। क्योंकि मार्किट हमारे हिसाब से नहीं चलता।
- शेयर का Resistance & Support Level भी ध्यान में रखना चाहिए। Resistance का मतलब यह है की शेयर का भाव एक विशेष स्तर से ऊपर नहीं जाता और Support का मतलब है कि शेयर का भाव एक विशेष स्तर से नीचे नहीं जाता है। यानि एक सीमा के अंदर ही ऊपर / नीचे होता है , ऐसी स्थिति को Sideways कहा जाता है।
Resistance and support level |
- लक्ष्य [Target ] पूरा होने पर exit करें।
- घाटा होने पर quit करें। लूज़िंग साइड एवरेज न करें।
- जब ट्रेड करें तो TV , शोरशराबा , अख़बार आदि से दूर रहें। अर्थार्थ ट्रेड पर ही ध्यान केंद्रित करें।
- भावनाओं पर नियंत्रण रखें। लाभ होने की स्थिति में कूदें नहीं। हानि होने की स्थिति में उदास न हों।
- मार्किट खुलने के बाद 60 मिनिट तक इंतजार करें और देखें जिस स्टॉक में ट्रेड करने जा रहें हैं उसका मूवमेंट अपनी इक्छा के अनुरूप है की नहीं।
- मार्केट शुरू होने के एक घंटे बाद ट्रेड के Gainer & Looser को BSE /NSE की websiteshttps://www.nseindia.com/index_nse.htm पर देखें। जैसा ऊपर चार्ट दिखाया गया है।
- स्टॉक विशेष के Upper circuit व् Lower circuit का ध्यान रखें। क्यों की circuit लगने पर ट्रेडिंग अनेकों बार बंद हो जाती है।
- ट्रेड लेने से पहले स्टॉक का टेक्निकल -चार्ट जरूर देखें। चार्ट देखने के लिए निम्न websites पर जाएँ :-
- https://www.bseindia.com/ ,
- https://www.nseindia.com/,
- https://www.moneycontrol.com/,
- https://chartink.com/,
- https://www.screener.in/,
- https://www.investing.com/
- स्टॉक की चाल [Trend ] का अनुसरण करें। अर्थात चाल "नीचे " है तो बढ़ने पर बेचें और चाल "ऊपर" है तो गिरने पर खरीदें।
- Volatile market [उथल-पुथल ] में ट्रेड ना करें। सुबह 09:15 am to 10:30 am तक और दोपहर बाद 02:30 pm to 03:30 pm तक बाजार में बहुत हलचल रहती है। बिना अनुभव के यहाँ ट्रेड लेना बहुदा हानिकारक रहता है।
- अपने Allotted funds का 1/4 हिस्सा ही शुरुआत में लगाएं। कभी उधार लेकर ट्रेड न करें।
- किस रेट के शेयर पर क्या टारगेट प्राइस रखें ? मान लीजिये 100 रुपए मूल्य के 100 शेयर ख़रीदे या बेचे तो 2 रुपए प्रति शेयर का प्रॉफिट बुक कर बाहर आ जाना चाहिए। इस तरह आपको 200 रुपए का लाभ हुआ। कुल टर्नओवर 20000 हुआ , इस टर्नओवर पर ब्रोकरेज , टैक्स ,सेस मिला कर 10 या 20 रुपए हुआ। तब भी 180 /- रुपए की कमाई हुई। इसी तरह यदि शेयर का मूल्य 200 /- रुपए है तो 3 या 4 रुपए प्रति शेयर का प्रॉफिट बुक करें। 300 /- रुपए का शेयर है तो 5 से 6 रुपए का प्रॉफिट बुक करें और इसी अनुपात में बढ़ते रेट पर सौदे काटते रहें।
- बिना अनुभव के , बिना समझ के, किसी के कहने -सुनने से कभी इंट्राडे-ट्रेडिंग न करें। आप हमेशा अपनी रकम डुबो देंगे।
- बढ़ता हुआ शेयर Intraday -trading में अप्रत्याशित रूप से नीचे गिर जाए तो उस शेयर की delivery उठाकर 1 -2 दिन बाद बेच सकते हैं !!
कोशिश करें की हार -जीत न हो तो, मैच टाई हो जाए ! अर्थात, "नो गेन -नो लॉस" की स्थिति यदि रहे तो बेहतर है।
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thank you
जवाब देंहटाएंvery knowledgeable article
Thanks dear
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