कुछ दिल ने कहा......
कुछ दिल ने कहा ....... |
चलो वहाँ चलें , जहाँ न "गम" हो और न ही हो कोई "चिंता" ,
बैठे बतियाते रहें घंटों , तो कभी लेट कर सुस्ताते रहें।
बीते हुए कल की मीठी यादों से मुस्कुराते रहें ,
भूल जाएँ वो लम्हें जो कांटे चुभाते रहे।
कब, किसने,क्या,क्यों, कहाँ , कैसे क्या किया ,
इनसे इतर कुछ अलग सी मीठी खिचड़ी पकाते रहें।
कभी तुम कुछ "वो " कहो जो कहना चाहते थे ,
और कभी हम "वो" सुने जो सुनना चाहते थे।
चलो कभी सुने-समझें पक्षियों की बोली ,
तो कभी दाना देकर उन्हें अपने पास बुलाये।
आसमान में बादलों को देखें रंग और डिजायन बदलते हुए
और मुँह में उँगली दबाते हुए कुछ जाने -पहचाने चेहरे तलाशें।
आओ चलें वहाँ , जहाँ ठंडी हवा के झोके सर्दी का एहसास दिलाते हैं ,
और अपन पानी की छीटों से एक-दूसरे को सहलातें रहें।
गुनगुनाते रहें वो "गीत" जो अच्छे लगते हैं , पर कभी गा न सके ,
ज़िन्दगी शायद न मिले दोबारा , चलो हर लम्हा सहलाते चलें।
बढ़ते रोगों की परवाह किये बिना , ज़िन्दगी जीने की बातें करते चलें ,
चलें वहाँ तक जहाँ धरती से गगन मिला करें.
क्यों न "फासलों" को मिटाकर "आलिंगन" को लिखने की कोशिश करें ,
कभी जुबाँ को ऐतराज़ हो तो नज़रों से ही बातें करें।
ख्बाब ही सही, चलो बातें उस "जहाँ" की करें , जहाँ प्यार , सच्चाई , समर्पण हो ,
चलो कोशिश करें "सितारों " को दिन में देखने की !!
सुई-धागे की बातें बेमानी ही सही , चलो समझें उनके संबधों की गहराई को ,
कपड़ों पर जो "धागे " की कढ़ी है जिससे सिलाई हुई है , उसका जिक्र करें।
चलो "जुबाँ " से पूछते हैं उसकी चंचलता की वज़ह ,
चीनी और नमक के बिना जलेबी और सब्जी का स्वाद उसे क्यों नहीं भाता है।
चलो बच्चों से पूछे और सीखें , डांट -डपट और पिटने पर भी फिर से दोस्ती कैसे कर लेते हैं ,
आँधी -तूफानों से पूछे उनके आने और जाने का कारण ,
परिणाम सिर्फ "बर्बादी" ही था या "बदलाव" !!
जीवन तो क्षणभंगुर है , लेकिन जब तक है , क्यों न इसे जीने की बातें करें।
कुछ तुम भूलो , कुछ हम भूलें , ऐसी कुछ तरकीब करें।
तन्हाई में जो अक़सर खुद से बोला करते थे , आओ उन किस्सों को भी साझा करें।
चलो चले वहां जहाँ न कोई ग़म हो........
**********************************************************************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपको यदि कोई संदेह है , तो कृपया मुझे बताएँ।