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सोमवार, 23 सितंबर 2019

ज़ज़्बात , Emotion

ज़ज़्बात , Emotion

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ज़ज़्बात 
ज़ज़्बात कहाँ से आते हैं......... .... ज़ज़्बात कहाँ चले जाते हैं।
क्यों ये हमको अपनापन और क्यों ये अलगाव जगाते  हैं।

आँखों में खुशीआं कभी, तो कभी वो आंसू लाते हैं। खिलते हैं कभी-कभी ये , तो कभी-कभी मुरझाते हैं। दिखाई न देते कभी ये हमको , पर महसूस हमें हो जाते हैं।

शरीर में ढूंढे से न मिलते , डॉक्टर सिर्फ बताते हैं। कहते हैं काबू में करलो, वार्ना बहुत सताते हैं। ये अदृश्य , सूक्ष्म और अनंत अजीब है , सब में पाए जाते हैं।

ज़ज़्बात कहाँ से आते हैं......... .... ज़ज़्बात कहाँ चले जाते हैं।

ज़ज़्बात कहाँ से आते हैं

Emotion
Emotion 
कोयल की "कूक" क्यों कानों में रस भर जाती है , तो कौए की "कांव" कानों में सुई  जैसी चुभ जाती  हैं।
मुस्काये चेहरे को मन का दर्पण देखा करे  , और कड़वे शब्दों के वाचक को देख, मुँह को फेरा करे ।

कभी तो बैठूं उन अपनों में , जिनसे रिश्ता कोई नहीं । और कभी मरुँ मैं उनकी खातिर , जिनसे मिलना ठीक नहीं। जब मैं देखूं मंदिर को तो शीश वहां पर झुक जाए, और जब न बाजे दिल में घंटी , छोड़ सभी को मुड़ जाए।

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ज़ज़्बात कहाँ से आते हैं 
फूलों को देख चहक उठता दिल , कांटे क्यों न मन भाये। भरी गर्मी में देख मेघ को , मन का मयूरा नाचे -गाये।
माँ के आँचल में छुप कर मैं , सुख की हर छाया पाऊं, कोई कह दे "कुछ " उसको तो , मन में आग से भर जाऊं।

मछली तैरती झुण्ड में और पक्षी उड़ते संग में, कब कहाँ ये घर बनाले , हो जाता हूँ दंग मैं। पेड़ों की हरियाली देखूं , सुनूँ झरनों की आवाज़ें  , मन चाहे कि कर लूँ बातें क्यों न इनके संग मैं।


मिट्टी तेरी सोंधी खुशबू को , बरसात कहीं से ले आऊँ। क्यों न तेरे आँचल को मैं हरे रंग से भर जाऊँ।
नींद न आये मुझको तो मैं बेचैनी से घिर जाऊँ , किसी से कह दूँ दिल की बातें इसी सोच में घिर जाऊँ।

दो इंसानों की एक सी सूरत , पर सीरत अलग सी लगती है। क्यों उनके भावों में मुझको कभी कमी सी लगती है।
दुखी किसी को जब मैं देखूँ , तो दिल मेरा तड़पाता है। और ख़ुशी के आँगन में मेरा दिल हिचकोले भी खाता है।

ज़ज़्बातों के इसी भंवर में कभी तो मैं लुट जाता हूँ । इनके भंवरों की गोलाई से कभी निकल न पाता हूँ।
जब तक जीवन तब तक ये संग , इनके बिना मैं कुछ भी नहीं। "ईश्वर"............. तेरी लीला को मैं कभी समझ न पाता हूँ।



ज़ज़्बात कहाँ से आते हैं..................ज़ज़्बात कहाँ चले जाते हैं।
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