लापता , हताश : Missing, Frustrate
लापता , निराश |
हाल में ही एक खबर सुनने और पढ़ने आयी कि एक नामी कंपनी के मालिक 2 दिन से लापता हैं। उन्होंने एक लेटर अपने बोर्ड के साथियों,एम्पलॉईस [employees ] को लिख छोड़ा कि, "वो कंपनी को उस मुकाम पर नहीं पहुंचा सके जहाँ पर वो चाहते थे। वह असफल हो गए हैं , अतः उन्हें माफ़ करें"। एक अनुमान के अनुसार उनकी कंपनी की संपत्ति 11,259 करोड़ रुपये थी। और क़र्ज़ 8183 करोड़ रुपये था। दो दिन बाद ही उनका मृतक शरीर [Dead body ] एक नदी के किनारे पर मिल गया। कंपनी के शेयर का रेट दो दिन में ही 40 % गिर गया। मालिक की कंपनी के साथ शेयर -धारकों की पूँजी में भी गिरावट आ गई।
नामचीन व्यक्ति [Famous Personality]
चूँकि नामी व्यक्ति थे , अतः मीडिआ में उनके लापता होने और तलाशी की खबर वायरल हो गयी। किसी भी नामचीन व्यक्ति की अकाल मृत्यु पर, प्रश्नों का पहाड़ खड़ा हो जाता है : क्या , कब , कैसे , क्यों , कहाँ.......????
डायना [प्रिंस चार्ल्स की पत्नी ], श्री देवी , ओमपुरी , राजीव गाँधी आदि कुछ ऐसे ही उदाहरण हैं।
संवेदनशील मनुष्य उपरोक्त घटनाओं पर विचलित हो जाते हैं।
विचार -मंथन , बहस का दौर शुरू हो जाता है।
आखिर ज़िन्दगी का दुखद अंत क्यों !! सुनते तो यह आये हैं कि, आर्थिक तंगी की वजह से फलां व्यक्ति ने जान दे दी। किसान ने आत्महत्या कर ली। पढाई का बोझ इतना था कि विद्यार्थी ने जान देदी। वो ये बेईजत्ती सहन नहीं कर सका / सकी और उसने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
लेकिन नामी लोग तंग-हाल नहीं होते। तो सवाल उठता है कि, क्या वजह थी जान दे देने की .. ... ?? जवाब सीधा सा है मन की अशांति , टेंशन , घुटन। रुपये से रुतबा, वैभव, नाम ख़रीदा जा सकता है, पर पैसा साथ में अनेक परेशानियाँ भी लाता है। अशांति , टेंशन , डर सब पैसे की ही उपज हैं। पैसा आ जाने से चैन छिन जाता है। अधिक और अधिक पैसा बनाने की तीव्र इक्च्छा इंसान को पागल कर देती है। ज़िन्दगी में भाग -दौड़ ही लगी रहती है। पर क्या करें , आज के ज़माने में इक्छायें इतनी बढ़ गयी हैं कि संतुष्टि कहीं नहीं है। जो लखपति है वो करोड़पति बनना चाहता है और फिर अरबपति। इस दुनियाँ में लाखों लोग करोड़पति , अरबपति हैं पर क्या वे संतुष्ट हैं। शायद , नहीं !!
लापता , हताश : Missing, Frustrate
संतुष्ट व्यक्ति : Satisfied Person
संतुष्ट व्यक्ति |
गांव की चौपाल पर , मोहल्लों के चबूतरों पर , चाय की दुकान पर जब हंसी -ठिठोले देखते हैं तो लगता है की ज़िन्दगी तो शायद यहीं जिए जा रही है , दिन भर की थकान उतर जाती होगी। इनके घरों में न तो खाने का "मीनू" होता होगा और न ही इस बात का टेंशन की "नाश्ता" क्या बने। न कपडे पहनने का , न घर की आन -बान -शान की कोई चिंता रहती होगी। बच्चों को कौन से स्कूल में पढ़ाना है , उनके लिए अभी से पैसे की व्यवस्था कैसे करनी है, कोई टेंशन नहीं।
वो अपने खाने में से गाय व् कुत्ते के लिए भी कुछ निकलते होंगे , आखिर ये जानवर इंसानी जीवन के अभिन्न अंग जो हैं। देखा भी है, जहाँ इंसान की बस्ती है वहां गाय , कुत्तों की बस्ती ज़रूर है।
जिन घरों में बच्चे नहीं होते, वहां इन्हीं जानवरों को संतान की तरह पाला जाता है। किस लिए , शायद मन की संतुष्टि के लिए। गांवों में जब किसान को अपने बैलों से लिपटते देखतें हैं तो सुखद अहसास होता है , शायद वो बैल ही उसकी संपत्ति होगी।
आये दिन हम समाचार पढ़ते हैं कि अमुक व्यक्ति ने अपनी संपत्ति में से इतने करोड़ दान कर दिए , शायद कुछ अच्छा कर लो, या समाज के प्रति उत्तरदायित्व निभाने के उद्देश्य से ही दान दिया जाता है । करोड़पति इंसान ने सन्यास ले लिया या दीक्षा ले ली , ऐसा भी सुनने में आता है। शायद ऐसे लोगों को अहसास हुआ होगा की पैसे से मन , आत्मा की शांति प्राप्त नहीं की जा सकती। खास बात यह है कि उन्होंने संतुष्टि का मार्ग चुना।
चौपाल |
परन्तु आत्महत्या [suicide ] को तो तनाव , परेशानी का उपाय नहीं कहा जा सकता। चाहे जो भी कारण रहे हों , जब जन्म अपने हाथ में नहीं है तो मृत्यु कैसे हो सकती है !! तो तनाव को कम कैसे करें ?
उपाय
- अपनी परेशानियों को परिवार व मित्रों से साझा किया जा सकता है। चर्चा करने से समाधान निकलते हैं।
- अपने अहम् [EGO ]को त्याग दें , ये एक बड़ा कारण है कुंठा का। दूसरों को कमतर न आंके।
- अति महत्वाकांक्षी बनने से बचें।
- असफलताओं से न घबरायें। बल्कि उनका कारण तलाशें।
- सफल होने के अलग रस्ते तलाश करें।
- मनोवैज्ञानिक [Psycologist ]से सलाह ली जा सकती है।
"पैसे से खुशीआं नहीं खरीदी जा सकती,उससे विलासिता [Luxury ]खरीदी जा सकती है"। पैसा खाना तो खरीद सकता है, परन्तु भूख नहीं। तो क्या पैसा नहीं कमाना चाहिए ? बिलकुल कमाना चाहिए , अन्यथा घर कैसे चलेगा। परन्तु अपनी आकांक्षाओं पर नियंत्रण भी रखना होगा वरना पैसा हमेशा कम ही लगेगा।
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मरो तो ऐसे के जैसे तुम्हारा कुछ भी नहीं।
जहाँ में आके जहाँ से खिंचे -खिंचे न रहो ,
वो ज़िन्दगी ही नहीं जिसमे आस बुझ जाये ,
कोई भी प्यास दबाये से दब नहीं सकती ,
इसी से चैन मिलेगा कि प्यास बुझ जाये। "
फिल्म :- बहु बेटी ** गायक :- मोहम्मद रफ़ी
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बहुत बढ़िया
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