ज़माना बदल रहा है : The World is changing - ज़िन्दगी के अनुभव पर Blog : Blog on Life experience

शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

ज़माना बदल रहा है : The World is changing

ज़माना बदल रहा है ज़माना बदल रहा है : The World is changing

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पुराना ज़माना 

ज़माना बदल रहा है , तो बदलने दो।  बदलने को ही तो प्रगति कहतें हैं। समय बदलता ही रहता है रुकता नहीं , तो फिर दुनिया क्यों नहीं बदले। सदिओं से ज़माना बदल ही रहा है , और जो ज़माने के साथ नहीं बदलते, वो पीछे रह जाते हैं , दकियानूसी [conservative] कहलाते हैं। अब तो बच्चों की शादी उनकी मर्जी से होती है, माँ -बाप की मर्जी से नहीं। ज़माना बदल रहा है,जुबान बेकाबू है , शर्म -ओ -हया गायब है , नग्नता फैशन है। 

गौर करने वाली बात यह है कि, इंसान बदलता रहा है, प्रकृति [Nature ]नहीं। हाँ , प्रकृति तांडव जरूर करती है और फिर वो ज़माने की सोच को ही बदल देती है , पर वो भी कभी -कभी। फिर इतिहास बदल जाता है  , भूगोल बदल जाता है।  कभी नहीं सुना कि आसमाँ, सूरज , चन्द्रमा , पेड़ -पौधे , जानवर आदि बदल गए हैं।  हाँ , हवा कभी -कभी गर्म व् ठंडी ज़रूर हो जाती है, इसी वजह से फिजाएँ बदल जाती हैं। मानव की फिजायें मर्जी के हिसाब से बदलती रहती हैं। Yes , इंसानी -प्रगति से पर्यावरण [Environment ] ने जरूर अपने आपको बदला है।
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नया ज़माना 

प्रकृति में बदलाव : Change in Nature

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प्रकृति 
प्रकृति में बदलाव सिर्फ़ इतना होता है की गर्मी में मौसमी नदी सूख जाती है , पृथ्वी प्यासी हो जाती है , पेड़ से पत्ते  झड़ जाते हैं , ग्लेशियर पिघलने लगते हैं।  परन्तु बरसात आते ही सब पहले जैसा हो जाता है। अर्थार्थ प्रकृति में परिवर्तन थोड़े समय के लिए ही होता है। और जहाँ तक इंसान की बात है , उसका बदलाव हर समय होता ही रहता है। 
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सूखी नदी 

इंसान में बदलाव 

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बदलता इंसान 

इंसान के अंदर प्रकृति ने ऐसे क्या गुण भर दिए हैं जो आये दिन उसे बदलते रहते हैं !! लालच , नफरत , प्यार , अकड़ , अहम् , मौकापरस्त , एहसानफरामोश ,उदार , कठोर आदि ये सारे गुण या कहलें अवगुण उसे क्यों मिले हैं ? और ये सभी गुण-अवगुण  समय -समय पर बदलते रहतें हैं!! कभी दोस्त बदल गया , तो कभी संतान बदल गयी , बॉस बदल गया , नीयत बदल गयी, किस्मत बदल गई ।मेरे एक दोस्त ने बताया कि , "लोग -बाग तो यों कहें कि बड़ो हे के, हमारो छोरा बिगड़ गयो, और हम ये कहें कि हमारा बाप बिगड़ गयो " हा ....हा....SSSS
कुछ ढीठ होते हैं जो कभी नहीं बदलते , उन्हें कितना ही ठोक -पीट लो 😉😉 .|  कुछ थोड़ा सा समझाने से बदल जाते हैं।


 राजनीति क्या है ? इंसानों का झुण्ड ही तो है , बदलती रहती है अपनी जरुरत के हिसाब से। कानून बदल जाते हैं , जरूरत के हिसाब से। कुर्सियाँ बदल जाती हैं, नकली हिजाब से। अंतर्राष्ट्रीय सम्बंध बदल जाते हैं, देश के हितों के कारण। होड़ हो रही है चाँद ,मंगल पर पहुँचने की , भावना यह है कि हम पीछे न रह जाएँ। राजनीतिक विचारधारा :- पूंजीवाद व समाजवाद इसी बदलाव का परिणाम है। दोनों के ही परिणाम, अमीर -गरीब की खाई नहीं पाट पाए। 

शास्त्र, धार्मिक पुस्तकें:

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धार्मिक पुस्तक 
शास्त्र, धार्मिक पुस्तकें कहती हैं कि, "मनुष्य के ये सभी गुण-दोष आत्मा [Soul ] के   हैं"। ज्योतिष -शास्त्र कहता है कि, "ये सब ग्रह -नक्षत्रों की चाल [Movement ] के कारण होता है"। विद्वान कहतें हैं कि, "ये सब संगत के कारण होता है"| समझ में नहीं आता है , कि समझ में नहीं आती है , किसकी माने और किसकी नहीं!!




Blog on life experience
भगवद गीता 

बदलाव या सुधार :

"बदलाव" शब्द के 2 अर्थ हैं। पहला सकारात्मक बदलाव, दूसरा नकारात्मक बदलाव। गौर करने पर ज्ञात होता है कि , समाज में नकारात्मक बदलाव ज्यादा हुआ है, अर्थार्थ अधोपतन हुआ है। दूसरी ओर "सुधार" शब्द  का अर्थ सकारात्मक परिवर्तन से ही है। जो प्रायः कम ही दिखाई देता है। 

सुनते भी आ रहें कि , "घोर कलयुग आ गया है"। "रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा  कलयुग आएगा, हंस चुगेगा दाना तुन का,कौआ मोती खाएगा"। अतः स्पष्ट है कि समाज / ज़माने में बदलाव आया है लेकिन Negative. 

निष्कर्ष [Conclusion]

हाँ, इतना जरूर है की इंसान में सकारात्मक [Positive ] बदलाव सुकून जरूर देता है। विचार बदलते है तो दुनिया बदलती है , जीवन बदलता है। विचारों में यदि आधुनिकता है, व्यक्तित्व का विकास है, तो अच्छा है। रूढ़िवादिता का त्याग है, तो अच्छा है। इंसानियत में परिवर्तन है, तो स्वागत योग्य है। जन्म -मरण क्यों और मृत्यु के बाद कहाँ जाऊँगा , क्या लेकर जाऊँगा ? इन विचारों में विकसित सोच है, तो अच्छा है।

बदलाव अच्छी बात है|  लेकिन मानवता  के विकास के लिए,संस्कारों की प्रगति के लिए व् प्रकृति के बचाव के लिए, तो उसका स्वागत होना चाहिए।

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लापता , हताश : Missing, Frustration

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