पढ़ने की उम्र नहीं होती !!.....
There is no education age......
पढ़ने की उम्र नहीं होती |
बात सन 1978 की है जब मेरी उम्र 17 वर्ष थी। मैं भरतपुर से दिल्ली ट्रैन से जा रहा था। ट्रैन के जिस कोच में सफर कर रहा था , उसी कोच में एक अंग्रेज भी था। वो अंग्रेजी में एक हिंदुस्तानी लड़के से बात कर रहा था। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था क्योंकि मेरी अंग्रेजी कमजोर थी। परन्तु मैं लगातार उनकी बातें सुन रहा था। कुछ मोटा -मोटा ये समझ में आ रहा था की, वे दिल्ली के ऐतिहासिक स्थलों [Historical places] की बातें कर रहे थे।
दरअसल , मैं उस समय दसवीं क्लास में पढता था। परन्तु पढाई में बहुत कमजोर था। और अंग्रेजी में तो बिलकुल ही पैदल था। मुझे याद है.......... क्लास में इंग्लिश का एक चैप्टर पढ़ा जा रहा था। सब विद्यार्थी अपनी -अपनी किताब में देखते जा रहे थे और अंग्रेजी के मास्टर जी पढ़ने के साथ -साथ हिंदी में मतलब समझाते जा रहे थे। परन्तु मेरा ध्यान शायद कहीं और था। मास्टर जी ने मुझे टोका , "कहाँ है तुम्हारा ध्यान ?", मैंने कहा , "किताब में ". अच्छा............ तो बताओ "Why was third Sadhu keep quiet " का क्या मतलब होता है ? मैंने उत्तर दिया , "तीनो साधु चुप क्यों हैं".
सारे होशियार विद्यार्थी उत्तर सुन कर हँसने लगे। मुझे बड़ी शर्म आयी। क्योंकि सही उत्तर था , "तीसरा साधू चुप क्यों था ". इस तरह उपरोक्त तीन घटनाओं ने मुझे झकझोर के रख दिया। अपने आप पर बहुत शर्म भी आ रही थी और गुस्सा भी। तब मैंने निश्चय किया की मुझे अपनी अंग्रेजी सुधारनी पड़ेगी। सोचा ........ कुछ लोग तो अंग्रेजी में ऐसे बात करते हैं जैसे कोई गाजर -मूली काटता हो। तो मैं इस लायक तो हो सकता हूँ की कटहल [Jackfruit] काट सकूँ।
सीखने की उम्र नहीं होती
उपाय ; Solution
उस ज़माने में "रैपिडेक्स इंगलिश स्पीकिंग कोर्स " नाम की पुस्तक बहुत मशहूर थी। सोचा उसे ख़रीदा जाए और शुरुआत की जाए। फिर किसी ने सलाह दी कि , "अंग्रेजी का अख़बार लगाओ ". एक ने सलाह दी अंग्रेजी के 5 शब्द रोजाना याद करो। एक और सुझाव "ग्रामर पर ध्यान " देने का भी था। सारे काम स्वयं शुरू करने थे। ट्यूशन का खर्च उठाने की हिम्मत नहीं थी न । अंग्रेजी का अख़बार "The Hindustan Times" लगवा लिया , लेकिन पढ़ने पर ख़ाक भी समझ में नहीं आता था। क्यों कि यदि भाषा का "अ , ब , स , द " ही यदि नहीं आये तो शब्द या वाक्य कैसे पढ़ें / समझें । साल भर गुजर गया लेकिन अंग्रेजी भाषा के ज्ञान में वृद्धि नहीं हुई। अब मैं ग्यारवीं क्लास में आ चुका था। उम्र 18 वर्ष पूरी हो गयी थी। और मैं अभी भी अंग्रेजी में जीरो [Zero ] था। जबकि आज के समय में आठवीं क्लास के बच्चे जो English -Medium स्कूल में पढ़ रहे हैं , वो ठीक ठाक अंग्रेजी बोल लेते हैं।
तब मैंने मन ही मन विचार किया कि मुझे फिर से छठी -क्लास की पुस्तक से अंग्रेजी पढ़ना शुरू करना चाहिए। उस ज़माने में हिंदी -माध्यम स्कूलों में छठी -क्लास से ही अंग्रेजी पढाई जाती थी। बस शुरू हो गया। पहले छठी , फिर सातवीं , फिर आठवीं , नवीं और दसवीं क्लास की सारी अंगरेजी की पुस्तकें पढ़ डाली। लगभग 12 महीने लगे उन्हें पढ़ने में। इस बार अंग्रेजी पढ़ी ही नहीं बल्कि समझी भी। पुस्तक के हर चैप्टर के पीछे दिए गए प्रश्न को समझा और उसके उत्तर चैप्टर में ही ढूंढे व् लिखे।
दरअसल , कोई भी विषय हमें इसलिए कठिन लगता है क्योंकि हम उसे ध्यान से न तो पढ़ते हैं और न समझते हैं। गणित विषय में बच्चों के कमजोर होने की वजह यही है कि वे ध्यान नहीं देते.....खैर । हमारी बात अंग्रेजी पर हो रही है। अंग्रेजी एक अंतर्राष्ट्रीय-भाषा [International Language] है। उसकी उपयोगिता या महत्व को कमतर नहीं आँका जा सकता। इसलिए अपनी अंग्रेजी को लगातार विकसित करने के लिए मैं लगातार तीन वर्ष निम्न उपाय करता रहा :-
- स्वयं से अंग्रेजी में बात करना।
- शीशे के सामने खड़े हो कर बात करना। इससे मेरी झिझक खुली।
- अंग्रेजी का अखबार पढ़ना। अंग्रेजी के समाचार TV पर सुनना।
- अख़बार में लिखी मैन -हेडिंग का अर्थ समझना।
- नए शब्द को कॉपी में लिखना।
- हिंदी से अंग्रेजी ट्रांसलेशन की पुस्तक लाकर , प्रतिदिन उसका अभ्यास करना।
- ग्रामर से ज्यादा महत्वपूर्ण था ये समझना कि verb क्या होती है. उसकी तीन फॉर्म्स Ist, IInd, IIIrd क्या होती हैं। क्यों की verb से :- है , हैं , हूँ , था , थे , होंगे , होगा , आदि अंग्रेजी -वाक्यों को समझा जा सकता था।
- उसके बाद Tenses , Conditional -sentences , Direct -Indirect Speech , Active -Passive Voice पर ध्यान दिया।
इस तरह मुझे बिना ट्यूशन किये भी 3 वर्ष में अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त हो गया। इसका फायदा ये हुआ की competition -exam में पहले ही प्रयास में अंग्रेजी विषय में पास हो गया। उसके बाद जब मेरी बैंक में नौकरी लगी तो बैंक के इंटरनल परीक्षा में भी पहले ही प्रयास में अंग्रेजी का पेपर पास कर लिया। बहुत संतुष्टि मिली। आज भी मैं नियमित अंग्रेजी का अख़बार internet पर पढता हूँ। किसी भी विषय में निपुण बने रहने के लिए उसका निरंतर पढ़ते रहना जरूरी है। जब कभी किसी विशेष वाक्य, मुहावरे या कहावत का मतलब समझ में नहीं आता तो उसे Internet पर सर्च कर लेता हूँ। Internet , YouTube पर अंग्रेजी पढ़ने , इम्प्रूव करने के बहुत से लेख , वीडियो उपलब्ध हैं। उन्हें भी समय -समय पर देख लेता हूँ।
There is no learning age......
निरंतरता ; Continuation
पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती |
[१] शादी हो जाने के बाद मैंने अपने बच्चों को English -Medium स्कूल में भर्ती करवाया और मैं उनको स्वयं ही पढ़ाया करता था। उनकी पुस्तकों से मेरी इंग्लिश और इम्प्रूव हुई ।
गूगल ट्रांसलेट |
[३] क्रिकेट मैच खत्म होने के बाद खिलाड़ियों के इन्टरव्यू जरूर सुनता हूँ। इससे अंगरेजी भाषा का pronunciation समझने में सहायता मिलती है।
[४] इसके अलावा मैं "कौन बनेगा करोड़पति " कार्यक्रम इसलिए देखता हूँ क्योंकि उसमें पूछे गए प्रश्न और उनके विकल्प दोनों बारी -बारी से हिंदीं व् अंग्रेजी में आते हैं। उससे शब्द [vocabulary] ज्ञान में वृद्धि होती है।
अब मेरी उम्र 58 वर्ष हो गयी है परन्तु अभी भी पढ़ना जारी है। ज्ञान का भंडार अथाह है, जिन्हें पढ़ना है / सीखना है, वो रास्ते ढूंढ ही लेते हैं, उम्र उसमें बाधा नहीं होती।
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